अपने होठों से कैसे तुम्हारा अंदाजे बयां कर दूँ ,
मन के अहसासों को ख़ुद से जुदा कर दूँ ।।
शोर करना तो झरने की फितरत है ,
कैसे समंदर के जज्बात मैं जग -जहाँ कर दूँ ।।
नर्म अल्फाज , भली बातें मुहज्जब लहजे ,
जो छलते हैं क्यों उसे मैं अदा कर दूँ ।।
ख्याली तितलियाँ जो इतरा रही हैं फूलों के रंग पे ,
हलकी बारिश से क्यों हर रंग मैं हल्का कर दूँ ।।
हर शाख भुला देती है पत्तों को पतझड़ में,
कैसे बचपन के यार को मैं नाआशना कह दूँ । ।
मन के अहसासों को ख़ुद से जुदा कर दूँ ।।
शोर करना तो झरने की फितरत है ,
कैसे समंदर के जज्बात मैं जग -जहाँ कर दूँ ।।
नर्म अल्फाज , भली बातें मुहज्जब लहजे ,
जो छलते हैं क्यों उसे मैं अदा कर दूँ ।।
ख्याली तितलियाँ जो इतरा रही हैं फूलों के रंग पे ,
हलकी बारिश से क्यों हर रंग मैं हल्का कर दूँ ।।
हर शाख भुला देती है पत्तों को पतझड़ में,
कैसे बचपन के यार को मैं नाआशना कह दूँ । ।
-नवनीत नीरव-
9 टिप्पणियां:
mast hai prabhu
bahut hi sundar vichar, isiliye humara aabhar.
behetreen aur evergreen kavita
aise hi humesha humaare liye likhte rahe
shukriya navnit aapne jo kuch bhi likha mere liye vo taaumar mere sar maathe par rahega. humari dosti ko shabdo mein pirokar tumne use amar kar diya hai. main rahu na rahu dosti humesha kaayam rahegi
Thank you for your comments Nirav, will read your poetry and comment soon, thanks once again
went thru your blog..great going navnit..amazing thoughts and very simply and lyrically stated..keep it up!!
Bohot sundar...! Aurbhi padhnaa chahti hun...filhal ispe comment deke aage padh loongee..
Anek shubhkamnayen...
नर्म अल्फाज , भली बातें मुहज्जब लहजे ,
जो छलते हैं क्यों उसे मैं अदा कर दूँ ।।
" और ये छलावा ही दिल को कभी कभी सुकून भी तो दे जाता है न ..."
Regards
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