सोमवार, 18 मई 2009

चाहत पंछी की

बस्तियों से गुजरना हमारी चाहत नहीं,
बागों में विचारना हमारी चाहत नहीं ,
समंदर
की लहरों '' अनजानी राहों पर,
सबको
गीत सुनाना हमारी चाहत नहीं

हमारी
चाहत तो है बस एक ही,
शाम
ढले नीड़ों में लौटने की,
जहाँ
की हर खुशियाँ समेटे हुए,
चुग्गा
और दानों की तलाश कर,
जहाँ
बच्चे इंतजार करते हमारा,
प्यार
की चाहत में चोंच खोल कर।

-
नवनीत नीरव-

4 टिप्‍पणियां:

शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

PYAAR ki chaht me CHONCH khol kar.................
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bahut sundar.
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kripya shabdkar@gmail.com par RACHANAYEN bhej kar sahyog karen.
aabhar

प्रिया ने कहा…

ultimately ghosle mein wapas aana hi padta hain.. good one

मोना परसाई ने कहा…

sundar abhivykti.

Reecha Sharma ने कहा…

kuch khaas nahi lagi