अपने होठों से कैसे तुम्हारा अंदाजे बयां कर दूँ ,
मन के अहसासों को ख़ुद से जुदा कर दूँ ।।
शोर करना तो झरने की फितरत है ,
कैसे समंदर के जज्बात मैं जग -जहाँ कर दूँ ।।
नर्म अल्फाज , भली बातें मुहज्जब लहजे ,
जो छलते हैं क्यों उसे मैं अदा कर दूँ ।।
ख्याली तितलियाँ जो इतरा रही हैं फूलों के रंग पे ,
हलकी बारिश से क्यों हर रंग मैं हल्का कर दूँ ।।
हर शाख भुला देती है पत्तों को पतझड़ में,
कैसे बचपन के यार को मैं नाआशना कह दूँ । ।
मन के अहसासों को ख़ुद से जुदा कर दूँ ।।
शोर करना तो झरने की फितरत है ,
कैसे समंदर के जज्बात मैं जग -जहाँ कर दूँ ।।
नर्म अल्फाज , भली बातें मुहज्जब लहजे ,
जो छलते हैं क्यों उसे मैं अदा कर दूँ ।।
ख्याली तितलियाँ जो इतरा रही हैं फूलों के रंग पे ,
हलकी बारिश से क्यों हर रंग मैं हल्का कर दूँ ।।
हर शाख भुला देती है पत्तों को पतझड़ में,
कैसे बचपन के यार को मैं नाआशना कह दूँ । ।
-नवनीत नीरव-