शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

एक दीया, मेरे दोस्त तुम भी जलाना.....

अमावस की रात, जब अँधेरी हो जाती है,

स्याह -सा लगता है, यह सारा जमाना,

तवे पर जब कभी कालिख जम जाये,

मुश्किल होता है तब उसको मिटाना,

एक दीपशिखा जो युगों तक जलती है,

अनवरत संसार के हर तम् हरती है,

हर बार दीयों की कोशिश यही होती है,

मिलकर संसार से है अँधेरा मिटाना।

एक ही गुजारिश तुमसे इस बार,

एक दीया, मेरे दोस्त तुम भी जलाना।।


जब -जब मन के फासले बढेंगे,

कहाँ पुराने रिश्ते अच्छे हाल में रहेंगे?

अँधेरा रहता है इस ताक में बैठा,

लोग कब एक दूजे से उलझेंगे,

अक्सरहां गिला हम कर जाते हैं उनसे,

करीब जो लोग हमारे होते हैं सबसे,

मन के दरमयां जो अँधेरा है फैला,

कोशिश हो उसको हर हाल में मिटाना

गुजारिश है तुमसे, कोई दिल दुखाना,

एक दीया,मेरे दोस्त तुम भी जलाना।।

-नवनीत नीरव-




बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

हमशक्ल

अचानक ही उस दिन
महसूस हुआ था मुझे,
कि तुम मेरे कैम्पस में हो,
जब देखा था मैंने,
वही गुलाबी सूट पहने,
(जिस पर मैं फ़िदा था)
सिंगल सी चोटी बनाये,
ठीक तुम्हारे कद वाली
उस सांवली सी लड़की को,
दूर से

मन की भावनाएं,
जो उनींदी सी थीं,
मानों उन्हें सुबह का ठंढा झोंका,
अचानक ही छू गया हो,
विश्वास नहीं हो रहा था,
कि वो तुम ही हो,
खुद के यकीन की खातिर,
कई बार देखा उसे मैंने,
छुप-छुपकर,
कभी कॉलेज की गैलरी से,
कभी लाइब्रेरी की शेल्फ से,
कभी कैफेटेरिया के नजदीक,
कभी गुजरते हुए हरे लॉन से,
सिर्फ यही जानने के लिए,
कहीं वो तुम ही तो नहीं

अब तो छुपकर उसे देखना,
मेरी आदत बन रही है,
मैं जानता हूँ,
कि वो तुम नहीं हो,
फिर भी जाने क्यूँ मैं,
एक अन्जाना आकर्षण,
महसूस कर रहा हूँ

- नवनीत नीरव -

गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

नानी कहे कहानी


व्याकुल हो बच्चे बैठे हैं ,
छोड़ के सारी शैतानी,
कोई मस्ती करता है,
कोई करता मनमानी,
दूर देश में रहती है,
सुंदर परियों की रानी,
मधुर -मधुर सपनों को ले,
नानी कहे कहानी

परीलोक है सुंदर देश,
कभी होता किसी को क्लेश,
बहती है वहां दूध की नदियाँ,
इठलाती उनमें सुंदर परियां,
चलती है उसमें चांदी की नाव,
बैठ घूम आयें सपनों के गाँव,
सूखे मेवे और रसीले फल,
तारों संग लटकते पेड़ों पर,
शब्दचित्रों की अनोखी बातें,
जिसे कभी, देखी जानी,
मधुर -मधुर सपनों को ले,
नानी कहे कहानी

परी लोक में है एक रानी परी,
उसके हैं पंख जादू की छड़ी,
झिलमिल चमकीले वस्त्र हैं उसके,
स्वर्ण मुकुट शोभित है सिर पे,
बच्चे प्यारे लगते उसको,
बहुत प्यार करती है सबको,
ऐसे ही कुछ प्यारे किस्से,
उनमें कुछ रोचक कुछ अनोखे,
अपलक निहारते सारे बच्चे,
सुनते जाते नानी की जुबानी,
मधुर -मधुर सपनों को ले,
नानी कहे कहानी

-
नवनीत नीरव-