बुधवार, 17 जून 2009

बादलों से बातें

(बरसात शुरू हो गई है । बादल आने लगे हैं ।)
चलो हम बादलों से बात करते हैं,
कुछ अपने दिल के जज्बात कहते हैं,
संदेशे भेजते हैं बूंदों से जब वो ,
न जाने हमसे क्या फरियाद करते हैं।

लेकर कई गम समंदर औ पोखरों के,
हवा में झूमते हैं वो जज्बाती होके,
गम ठहरे गर दिल में तो वो बादल जैसे,
और बह जाए तो उसे बरसात कहते हैं ।
चलो हम बादलों से बात करते हैं।

निराली बात है जो पहाडों से लिपट कर ,
वो अपने प्यार का अक्सर इजहार करते हैं,
हमारी आदत है ये बन चुकी ,
जो अपनों को भी नजरंदाज करते हैं।
चलो हम बादलों से बात करते हैं ।

ढूंढते फिरते हैं अपनों को वो गैरों में,
ख्याल हर किसी का वो दिन रात करते हैं,
बढ़ रही है हमारे रिश्तों की थकावट,
कहाँ अपनों के हम दर्द की परवाह करते हैं ।
चलो हम बादलों से बात करते हैं ।

चलो हम बादलों से बात करते हैं,
नए एक दौर की शुरुआत करते हैं,
चलता रहे हमेशा मोहब्बत का काफिला,
चलो उस सफर का आगाज़ करते हैं।
नवनीत नीरव