सोमवार, 23 जून 2014

स्मृतियों में प्रेम

मांग लाया था वापस,
अपनी बातें,
अपने वादे,
अपना सबकुछ,
जो कभी  उसकी चाहत थे.

अदला बदली,
हमेशा सुखद नहीं होती,
कुछ पलों में जीते हुए,
पता भी नहीं होता,
कि सांसें गिरवी हैं.

जो अपना था,
वो कभी खो नहीं सकता,
भले ढूंढते रहे हम,
अपने दिल समन्दर में,
यादों-बातों में.

कोई क्यों जरूरी होता है?
महसूसता हूँ,
उसके चले जाने के बाद,
कि शायद कभी उसको,
मेरी तलब लगे.

-नवनीत नीरव-