बुधवार, 7 सितंबर 2011

बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं,

बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं,
कभी सुलगती हैं, कभी बरसती हैं,
कभी किसी महबूब सी,
जिस्म छूकर गुजरती हैं
हरेक जिदगी में ही जाने अनजाने ,
अक्सरहां अपनी दखल रखती हैं
बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं।

इक अजनबी एहसास,
नए रिश्ते की शुरुआत ,
नन्ही बूंदों की छुअन,
गीले वसन में लिपटा बदन,
धुले पेड़ों के टपकने की आहट,
किसी के भींगे आँचल की सरसराहट ,
फुसूं ता-हद्दे-नजर हरेक शय करती है।
बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं ।

ऑफिस की आखिरी बस,
बिखरी यादों का स्वागत,
किसी के आने का इंतजार ,
मदमस्त मौसमी बहार,
किसी की गहरी उदासी,
कोई दीवारे-फ़रामोशी,
अक्सरहां चाय -पकौड़े संग खिड़कियों में कैद करती हैं।
बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं।

-नवनीत नीरव-