बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं,
कभी सुलगती हैं, कभी बरसती हैं,
कभी किसी महबूब सी,
जिस्म छूकर गुजरती हैं
हरेक जिदगी में ही जाने अनजाने ,
अक्सरहां अपनी दखल रखती हैं
बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं।
इक अजनबी एहसास,
नए रिश्ते की शुरुआत ,
नन्ही बूंदों की छुअन,
गीले वसन में लिपटा बदन,
धुले पेड़ों के टपकने की आहट,
किसी के भींगे आँचल की सरसराहट ,
फुसूं ता-हद्दे-नजर हरेक शय करती है।
बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं ।
ऑफिस की आखिरी बस,
बिखरी यादों का स्वागत,
किसी के आने का इंतजार ,
मदमस्त मौसमी बहार,
किसी की गहरी उदासी,
कोई दीवारे-फ़रामोशी,
अक्सरहां चाय -पकौड़े संग खिड़कियों में कैद करती हैं।
बारिशें बहुत कुछ तय करती हैं।
-नवनीत नीरव-