(कुछ ख्वाब सिरहाने की यह १०० वीं पोस्ट है.)
बताना कठिन है प्यार कब शुरू
होता है,
जब मालूम भी न हो, असर तब
होता है,
एक आकर्षण, अपनापन, अनचाहे एहसास,
बचपन का प्यार अक्सर ऐसे ही
होता है.
२.
दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं,
इंतजार की घड़ियाँ सुस्त पड़ जाती हैं,
इंतजार की घड़ियाँ सुस्त पड़ जाती हैं,
वो कौन सी दुनिया की बात है
दोस्तों,
जहाँ दिन छोटे हों रात लंबी
हो जाती है.
३.
स्कूल खत्म होते ही दोस्त
बिछड़ गए,
नम-सर्द प्यार के मौसम चले
गए गए,
शाख लरज गयी, फूल कुम्हलाए,
पात झरे,
प्रेम सफेद बगुले बन कहीं उड़
गए.
४.
सोचने-समझने का वक्त बहुत
होता है,
कालेज के दिनों हर नजारा
खूब होता है,
चाहत बदल जाती है इस उम्र
में अक्सर,
प्यार के नाम पर दिखावा खूब
होता है.
५.
दोस्त नए मिलते हैं, उम्र भर
के लिए,
रिश्ते बदलते हैं खुद को
समझने के लिए,
जज्बात हावी हो जाते सोच पर
अपने,
वो मिले तो साझा करते हम सपने
अपने.
६.
वादों-ख्वाबो के पक्के
रंगों सा मिश्रण,
देते प्यार को गति हर क्षण,
कौन जाने ये रंग भी धुल
जाते हैं,
भावनाओं की बारिशों में आदतन.
७.
कौन समझेगा, किसको समझाएं,
“करियर” को किस ओर ले जायें,
पतवार तो होती है हाथ में अपने,
किनारे पर बैठ हम माँझी को
बुलाएँ.
८.
सच कहूँ प्यार के रंग फीके पड़ जाते हैं,
जब इसके खातिर हम जिद पर अड़ जाते हैं,
एक तरफ अपना घर, दूजी ओर अपनापन,
फैसला कुछ भी हो हम कमजोर पड़ जाते हैं.
9.
तेरा सामना करने की हिम्मत न रही,
भेजता रहा तुझे कुछ अनाम चिट्ठियाँ,
संकेतों में कोशिश की थी तुझे समझाने की,
जमाना डाल रहा मेरी पैरों में बेड़ियाँ.
भेजता रहा तुझे कुछ अनाम चिट्ठियाँ,
संकेतों में कोशिश की थी तुझे समझाने की,
जमाना डाल रहा मेरी पैरों में बेड़ियाँ.
१०.
तजुर्बा प्यार का इतना ही है अभी तक,
देखना है अंजाम आगे क्या होता है,
मोहरें बिछ गयी हैं जिंदगी के शतरंज की,
शहजादा बाजी जीतता है, या कैद होता है.
1 टिप्पणी:
बहुत भावपूर्ण रचना। बधाई\
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