कुछ ख़्वाब सिरहाने हैं...
[कविताएं - जिनके साथ मैंने कुछ वक्त बिताये हैं]
शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011
जगजीत के लिए.......
चली जा ऐ गजल जमाने से,
अब
कोई
तुम्हारा नहीं रहा,
कहां कोई कद्रदान यहां पर,
गुनगुनाए तुझे वो आवारा
नहीं
रहा,
मायूसियों को पाले चंद लोग,
मिल जाते है हर शब मयखाने में,
तुझ में डूब भूले जाये खुद को,
अब वो तेरा चाहने वाला नहीं रहा।
-नवनीत नीरव-
1 टिप्पणी:
Shilpa Shree
ने कहा…
i too miss his voice....
23 जनवरी 2013 को 4:45 pm बजे
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i too miss his voice....
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