गुरुवार, 16 जून 2011

आ जा ओ बदरिया


आ जा ओ बदरिया,

आके बरस हमरी अटरिया,

गरमी से अकुलात हैं,

हमरे प्यारे सांवरिया,

हरदम चिचियात हैं बेवजह हमपे,

चैन न उनके कौनो पहरिया.

मुन्नू और लाली हमके गोहरावे,

सही न जात है उनसे गरमिया,

एही से बुलाती है तुम्हारी इ बहना,

सुन लो अब एक बार हमारी अरजिया ।

जा बदरिया...........


तलवा-तलैया सूख गइन हैं,

दहकत हैं सब गाँव की डगरिया,

हर जगह गाँव में तुम्हरे ही चर्चा है,

चौपाल हो, बागीचा हो, या हो मंदीरिया,

भईया किसान सब तुम्हरे भरोसे,

हर साल बर्बाद होवे उनकी किसनिया,

भला परदेस जाके का कोई कमाई,

जब छूछे रहे आपन गाँव- नगरिया,

हरदम पूजा बरत सबे करत हैं,

काहे न सुनत तुम उनकी विनतिया ।

आ जा ओ बदरिया.........


कासे बुलाऊं अब समझ न पाऊं,

हम तो ठहरी गाँव की गुजरिया,

पर एक बात साच जो तुमसे कहत हैं,

समझो तुम इसको हमरी मरमिया,

तीखे धूप में ढलती चलल जात है,

इठलाती मोरी बारी उमरिया,

अइसन सुना है गाँव के पुरनिया से,

विपदा में मदद देत गोतिया-बहिनिया,

एही से बुलाती है तुम्हारी इ बहना,

सुन लो अब एक बार हमरी अरजिया ।

जा बदरिया..............


-नवनीत नीरव-

2 टिप्‍पणियां:

Vandana Singh ने कहा…

wow ...bahut khoobsoorat geet ban pada hai ..really well done :)

ek chees mujhe padhte hue jara si khatki .भईया किसान सब तुम्हरे भरोसे, हर साल बर्बाद होवे उनकी किसनिया.Kisaniyaa padhna atpata sa laga ...shayad Fasaliya kiya ja sakta hai yahan ...vaise maine ese bol diya folk k hisaab se ho sakta hai kisaniya ka arth nikalta ho ..vo nhi pata mujhe ..:)

Subodh Kumar ने कहा…

Navneet Ji Maza aa gaya aisa wala to pahli bar padha hai