आओ, मन को खुशी से भर दें,
दिल के जज्बातों को रंग दें,
फागुन की इस अलमस्ती में,
बीते लम्हों संग भी चल लें।
हम वक्त को कहते पाजी है,
बेघर कर करता है यादों को,
बचपन से साथ रहे जो अब तक ,
रिश्ते- नातों के वादों को,
इक अहसास रहे मन में,
छूटे रिश्ते भी हैं अपने ,
कोशिश हो इस त्योहार पर,
कुछ रंग उन मुखड़ों पर भी मल दें।
फागुन की इस अलमस्ती में,
बीते लम्हों संग भी चल लें।
कोई रंग कहाँ गहरा होता है?
कुछ वर्षों में हल्का होता है
समय,धूप, हालात से उलझ कर,
अपनी रंगत खो देता है,
वो रंग जो मिले अहसासों का,
प्यार के संग मुलाकातों का ,
इनको अपनाकर इस त्योहार पर,
हल्के रंगों को पक्का कर दें।
फागुन की इस अलमस्ती में,
बीते लम्हों संग भी चल लें।
-नवनीत नीरव-
2 टिप्पणियां:
आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice
बहुत बढ़िया!
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
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