गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009
नानी कहे कहानी
व्याकुल हो बच्चे बैठे हैं ,
छोड़ के सारी शैतानी,
न कोई मस्ती करता है,
न कोई करता मनमानी,
दूर देश में रहती है,
सुंदर परियों की रानी,
मधुर -मधुर सपनों को ले,
नानी कहे कहानी ।
परीलोक है सुंदर देश,
कभी न होता किसी को क्लेश,
बहती है वहां दूध की नदियाँ,
इठलाती उनमें सुंदर परियां,
चलती है उसमें चांदी की नाव,
बैठ घूम आयें सपनों के गाँव,
सूखे मेवे और रसीले फल,
तारों संग लटकते पेड़ों पर,
शब्दचित्रों की अनोखी बातें,
जिसे कभी, न देखी न जानी,
मधुर -मधुर सपनों को ले,
नानी कहे कहानी ।
परी लोक में है एक रानी परी,
उसके हैं पंख औ जादू की छड़ी,
झिलमिल चमकीले वस्त्र हैं उसके,
स्वर्ण मुकुट शोभित है सिर पे,
बच्चे प्यारे लगते उसको,
बहुत प्यार करती है सबको,
ऐसे ही कुछ प्यारे किस्से,
उनमें कुछ रोचक कुछ अनोखे,
अपलक निहारते सारे बच्चे,
सुनते जाते नानी की जुबानी,
मधुर -मधुर सपनों को ले,
नानी कहे कहानी ।
-नवनीत नीरव-
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
6 टिप्पणियां:
bachpan ki yaad dila di aapne to ........achchi lagi aapki rachna
aaj bhi ham naani ki pari dhundh rahe hain...milti hi nahi...
bahut sundar hai ji kavita aapki...
सुन्दर बाल कविता !
बहुत बढिया बाल रचना है।बधाई।
बहुत बढ़िया कविता.
waah navneet ji bachpan me suni khaniya yaad aa gayee chahe vo nani ne sunayee thi ya dada or dadi ne ..
bahut sunder kavita hai..
एक टिप्पणी भेजें