(बरसात शुरू हो गई है । बादल आने लगे हैं ।)
चलो हम बादलों से बात करते हैं,
कुछ अपने दिल के जज्बात कहते हैं,
संदेशे भेजते हैं बूंदों से जब वो ,
न जाने हमसे क्या फरियाद करते हैं।
लेकर कई गम समंदर औ पोखरों के,
हवा में झूमते हैं वो जज्बाती होके,
गम ठहरे गर दिल में तो वो बादल जैसे,
और बह जाए तो उसे बरसात कहते हैं ।
चलो हम बादलों से बात करते हैं।
निराली बात है जो पहाडों से लिपट कर ,
वो अपने प्यार का अक्सर इजहार करते हैं,
हमारी आदत है ये बन चुकी ,
जो अपनों को भी नजरंदाज करते हैं।
चलो हम बादलों से बात करते हैं ।
ढूंढते फिरते हैं अपनों को वो गैरों में,
ख्याल हर किसी का वो दिन रात करते हैं,
बढ़ रही है हमारे रिश्तों की थकावट,
कहाँ अपनों के हम दर्द की परवाह करते हैं ।
चलो हम बादलों से बात करते हैं ।
चलो हम बादलों से बात करते हैं,
नए एक दौर की शुरुआत करते हैं,
चलता रहे हमेशा मोहब्बत का काफिला,
चलो उस सफर का आगाज़ करते हैं।
नवनीत नीरव
9 टिप्पणियां:
bahut hee sundar aur bhaavmay kavita hai akele me badalon se baaten karnaa achha lagataa hai aabhaar
सच मे यह नवगीत कि तरह नया और कोमल है ....सुन्दर रचना .....बधाई
waaqai mein baadal naya paigaam laate hain........
bahut hi awesome write up hai....... ati sundar.......
Do keep it up,.......
bahut khoobsurat....... ye baatcheet khoobsurati ke saath - saath sanjeeda bhi hain.
sunder!
[अरे आप ने भी बारिशों और बादल पर कविता लिखी है...
'बढ़ रही है हमारे रिश्तों की थकावट,
कहाँ अपनों के हम दर्द की परवाह करते हैं ।
चलो हम बादलों से बात करते हैं ।'
बहुत खूब!
-बारिश बादल पर लिखने का यह अंदाज़ भी भाया..
-बादलों से बात करते हुए अपने मन के भावों को खूब व्यक्त किया है.
bahut sunder rachna hai
navnit, mere blog par aane aur comments ke liye aabhaar, aur mujhe bahut achcha laga ki tumne meri lagbhag har rachna padhi , unme kuchh khojne ki koshish ki.main samajhta hun lekhak/kavi ka dayitva hai , wo samaj ko kuchh achcha de.
tumne baadlon ka sahara lekar bahut umda vicharon ki abhivyakti ki hai is kavita men. sunder rachna ke liye badhai.
चलो हम बादलों से बात करते हैं,
कुछ अपने दिल के जज्बात कहते हैं,
संदेशे भेजते हैं बूंदों से जब वो ,
न जाने हमसे क्या फरियाद करते हैं।
bahut khoob rachana bahut sundar hai .magar humlog bhari garmi me tap rahe barish ka namonishan nahi .aese me aanand yahi se lete hai mausam ka .
al yr poems r very nice
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