इस ज़माने में सभी प्यार करते हैं
कुछ इकरार, तो कुछ इजहार करते हैं,
कुछ ऐसे भी शख्स हैं यहाँ ,
जो इससे इंकार भी करते हैं,
कुछ प्रेम पत्रों के सहारे करते हैं,
कुछ गीतों, नज्मों से करते हैं,
कुछ दिल से करते हैं ,
कुछ दिल ही में करते हैं,
कुछ शौक के लिए करते हैं ,
कुछ शौक के लिए बेचते हैं,
तरीके चाहे जो भी हों ,
मगर वो प्यार करते हैं,
प्यार तो वही रहता है जनाब,
बस उसकी खुशबू बदल जाती है।
9 टिप्पणियां:
तो लीजिये जनाब हम भी ये इकरार करते हैं कि हम आपकी कविताओं से प्यार करते हैं......
साभार
हमसफ़र यादों का.......
bilkul sahi kaha aapne ....
बहुत बढिया रचना है।बधाई।
वाह क्या कहा है.......प्यार तो वाही रहता है खुशबू बदल जाती है...............
प्यार तो सचमुच प्यार है हो जाए तो फिर क्या ............ सुन्दर लिखा है
pyarr wahi rahta hai....khusboo badal jatee hai....boht sunder..
han hum bhi ikrar karte hain..... ki is duniya mein sabhi pyaar karte hain
baat to sahi hai........
Dear fren....plz do follow my blog also......
maine is post ko padhne ke baad aapki kuch aur posts padhee...dekha ki "bharatvaasi" jaisi kavita aapne aaj se kai saal pehle likhi thi...imaandaari se kahoonga,bura mat maaniyega par aapki kuch rachnaao ko dekhke saaf maloom ho raha hai ki aap apne is rachna se kahin behtar kavi hai...main aapki soch aur bhavnaao ki kadr karta hoon jo aapne yahaan pesh kiye,magar kuch expressions "kuch ikraar karte hai to kuch izhaar karte hai" ....Sorry bro...am sure you are better than this...
I do hope aap mere is comment ko positive way me lenge...main ek formal sa comment deke nikal sakta tha...but after reading some of ur stronger compositions...
i m impressed my dear but can u xplain me ki pyar ko becha kaise ja sakta hai??? i think pyar is not bikau....... focus n xplain it
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