
हम- तुम
मन की कोई बात बताओ मुझको तुम ,
रहती हो खामोश सदा अक्सर गुमसुम ,
कभी- कभी ही दिख पाती है मुस्कान तुम्हारी
दिल ही दिल में क्या बुनती रहती हो हरदम
यही सोचता रहता हूँ मैं कभी तो बातें होंगी
मन को हलकी करने वाली कुछ मुलाकातें होंगी
जज्बातों को काबू करना कोई तो सीखे तुमसे
उम्मीदों को ख्वाब बनाना कोई तो सीखे तुम से
आओ कोई बात करें और साथ चलें हम- तुम
एक नए सफर की शुरुआत करें हम- तुम ।
-नवनीत नीरव –
2 टिप्पणियां:
bahot khub dost...mein tumhara fan ban gaya huin
bahut accha sir....
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