शनिवार, 25 मई 2013

मौसम



टूटते पत्तों के मौसम से ,
इक आखिरी पत्ता बचा कर रखना ,
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना

सफर का हर आदमी मतलबी नहीं होता,
पर अपने जज्बात पर काबू रखना ,
सफर के अगले मोड़ पर मिले तो ,
कह देना जो भी है कहना
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना

मौसम बदलते ही रंग उतर जाते हैं ,
भावनाएं मरती हैं लोग बदल जाते हैं ,
पर कुछ यादें जो पड़ी हो सफेद कपड़ों पर ,
मुश्किल होगा उन्हें मिटा सकना
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना


तुम चलो मैं चलूँ संग खुशियाँ चलें ,
इस ज़माने के साथ हर गलियाँ चलें ,
काफिला - -पहाड़ सुकून देगा हमें,
गर निकला हो उनसे "नीरव" झरना
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना

-नवनीत नीरव -

3 टिप्‍पणियां:

Smart Indian ने कहा…

पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना ।
बहुत खूब!

Shilpa Shree ने कहा…

yaad...har roop me khubshurat hai...tumhari kavita ki tarah...likhte rho...

Shilpa Shree ने कहा…

yaad...har roop me khubshurat hai...tumhari kavita ki tarah...likhte rho...