अरमां जगे कुछ हल्के-फुल्के,
सूने घर में आकर कोई,
छेड़ गया हो सरगम खुद से,
हाल-ए-दिल मेरा,
फिर बेक़रार हुआ.
यकीं हुआ खुद को,
मुझे अब प्यार हुआ.
गीत नए कुछ बनने लगे हैं,
खोये सुर भी मिलने लगे हैं,
आकर फिर तुम
छू कर साजों को,
भर दो नए धुन,
खामोश बेसुरों में,
सुने बिना जिसको,
ये दिल बेजार हुआ .
रिमझिम बूंदें जिसको गाएं,
मौसम सुनके रीझ-सा जाए,
शरमाये गुलमोहर,
अमलतास दमके,
मंथर मेरे ख्यालों को,
उड़ने खातिर पर मिल जाएँ,
सुनकर मेरी नज्मों को,
कहें सब प्यार हुआ.
-नवनीत नीरव-
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर कविता ......
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