मंगलवार, 24 जनवरी 2012

मैच्योर


एक ख्याल है,
तुम्हारा आना गुजर जाना,
परेशानी का सबब है,
इस तरह हर वक्त मुझे घेरे रहना,
जैसे जड़ गयीं हों,
तुम्हारी आँखें मेरी आँखों में.
अब एक उम्र हो गयी है,
लोग “मैच्योर” कहते हैं  मुझे,
वर्ना कब का गुजर गया रहता,
तुम्हारे घर के सामने से,
अनेक बार,
फिर से तुम्हें देखने के लिए.
-नवनीत नीरव-  

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