(आज मुझे अपनी बहन से मिले चार साल बीत गए हैं । उसी के लिए मैंने कुछ पन्तियाँ लिखी हैं।)
कई पन्नों की दास्ताँ ,
अपने मन में समेटे हुए,
अक्सर स्नेहिल छाया देने की कोशिश में,
तुम असीम पीड़ा को सहती हुई चाहती रहीं,मुझे इस संसार की सारी खुशियाँ मिलें,
भूली -बिसरी यादों की कुछ मीठी बातें ,जिन्हें मन चाहता है कहना,
इस धरा पर कहीं भी रहो,
हमेशा खुश रहना मेरी प्यारी बहना ।
-नवनीत नीरव-
कई पन्नों की दास्ताँ ,
अपने मन में समेटे हुए,
अक्सर स्नेहिल छाया देने की कोशिश में,
तुम असीम पीड़ा को सहती हुई चाहती रहीं,मुझे इस संसार की सारी खुशियाँ मिलें,
भूली -बिसरी यादों की कुछ मीठी बातें ,जिन्हें मन चाहता है कहना,
इस धरा पर कहीं भी रहो,
हमेशा खुश रहना मेरी प्यारी बहना ।
-नवनीत नीरव-
3 टिप्पणियां:
बहुत हीं भावपूर्ण रचना.
गुलमोहर का फूल
Bahut sunder Rachna! Bhai-Behan ke pyare rishtey ko kam shabdo mein likh kar...jaise gagar mein sagar bhar diya ho
aaj muze apni sis yad aa gyi
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