तेरी नाराजगी ने तुझसे, इक खता करा दी ,
तुझे प्यार कर सकूं, मुझे ये वजह दिला दी ।
मीलों की दूरियां भी, बनती नहीं रुकावट,
दिल ने जब चाहा, प्यार ने दूरियां मिटा दीं ।
तू तो महकी- सी कली, छुपती रही मुझसे,
जब चली हवा, तेरी चाहत का पता दी।
किसी दस्तक पे कभी खुलती न थी जो खिड़कियाँ ,
तेरे इंतजार में हमने वहीँ पलकें बिछा दीं।
हलकी बारिश सजा जाती है बंदिशें मन में ,
तेरे अहसासों ने जब,दिलकश गजलें बना दीं ।
दिल की यही ख्वाहिश, मुलाकात हो तुझसे,
मोहब्बतों की कहानियाँ, जब किसी ने सुना दीं।
-नवनीत नीरव -
4 टिप्पणियां:
wah wah wah!!! kaun khushnaseeb hain jinke pyar mein itne kavitayein likhi jaa rahi hain..put up some illustrations as well
shukriya ek baar phir se mere liye kavita ki aapne sir iam very happy
thanx for coming on my blog .. just read ur poems .. like it so much .... :)
yahi tadap aur kashak hi to apko kabi banaya hai dost....tadapte rahiye... aur likhte bhi ....
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