अक्सर खड़ा पाता हूँ ख़ुद को,
कल्पनाओं की देहरी पर ,
अदृश्य रंगों की तलाश में ,
हर दिशा में उभरते -मिटते,
अधूरे बिम्बों को निहारते,
शायद कहीं मेरे प्यार सा,
कोई रंग मिल जाए ।
धूप गुलाबी है ,ख्वाब आसमानी हैं ,
स्वप्न रेतीले टीले हैं,
सोच बहता पानी है ,
सब अपनी-अपनी जगह बदलते ,
जब मन पर वश न चलता है ,
हम भी रुक-रुक पीछे मुड़ते,
ज्यों विरह पहर सरकता है।
कभी चिडियों की कतारों के संग,
कभी बारिश की फुहारों के संग ,
कभी तारों की लड़ियों संग,
कभी मासूम तितलियों के संग।
इसी सोच में शायद ,
इस क्षण तू आ जायेगी ,
सहेज कर रखे हैं जो ख्वाब,
उनमें रंग भर जायेगी।
सच बताऊँ कभी -कभी मन ,
गीला हो जाता है प्यार में,
वेदनाएं जब सही न जाती हैं ,
तेरे इंतजार में ............... ।
-नवनीत नीरव -
कल्पनाओं की देहरी पर ,
अदृश्य रंगों की तलाश में ,
हर दिशा में उभरते -मिटते,
अधूरे बिम्बों को निहारते,
शायद कहीं मेरे प्यार सा,
कोई रंग मिल जाए ।
धूप गुलाबी है ,ख्वाब आसमानी हैं ,
स्वप्न रेतीले टीले हैं,
सोच बहता पानी है ,
सब अपनी-अपनी जगह बदलते ,
जब मन पर वश न चलता है ,
हम भी रुक-रुक पीछे मुड़ते,
ज्यों विरह पहर सरकता है।
कभी चिडियों की कतारों के संग,
कभी बारिश की फुहारों के संग ,
कभी तारों की लड़ियों संग,
कभी मासूम तितलियों के संग।
इसी सोच में शायद ,
इस क्षण तू आ जायेगी ,
सहेज कर रखे हैं जो ख्वाब,
उनमें रंग भर जायेगी।
सच बताऊँ कभी -कभी मन ,
गीला हो जाता है प्यार में,
वेदनाएं जब सही न जाती हैं ,
तेरे इंतजार में ............... ।
-नवनीत नीरव -
4 टिप्पणियां:
मन में गहरे चल रहे विचारों को अच्छा आकर दिया है आपने ..वाह
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
मनोभावो को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
great poetry! aapki saari rachnaye bahut hi umda hain...take care..hope you are doing good!!
प्यार ऐसा ही होता है ..सुन्दर कविता
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