टूटते पत्तों के मौसम से ,
इक आखिरी पत्ता बचा कर रखना ,
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना।
इक आखिरी पत्ता बचा कर रखना ,
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना।
सफर का हर आदमी मतलबी नहीं होता,
पर अपने जज्बात पर काबू रखना ,
सफर के अगले मोड़ पर मिले तो ,
कह देना जो भी है कहना ।
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना ।
मौसम बदलते ही रंग उतर जाते हैं ,
भावनाएं मरती हैं लोग बदल जाते हैं ,
पर कुछ यादें जो पड़ी हो सफेद कपड़ों पर ,
मुश्किल होगा उन्हें मिटा सकना ।
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना ।
तुम चलो मैं चलूँ संग खुशियाँ चलें ,
इस ज़माने के साथ हर गलियाँ चलें ,
काफिला -ए -पहाड़ सुकून देगा हमें,
गर निकला हो उनसे "नीरव" झरना ।
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना ।
-नवनीत नीरव -
3 टिप्पणियां:
पतझड़ के मौसम लौट कर आएँगे
इनकी याद किताबों में दबा कर रखना ।
बहुत खूब!
yaad...har roop me khubshurat hai...tumhari kavita ki tarah...likhte rho...
yaad...har roop me khubshurat hai...tumhari kavita ki tarah...likhte rho...
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