तेरी नाराजगी ने तुझसे, इक खता करा दी ,
तुझे प्यार कर सकूं, मुझे ये वजह दिला दी ।
मीलों की दूरियां भी, बनती नहीं रुकावट,
दिल ने जब चाहा, प्यार ने दूरियां मिटा दीं ।
तू तो महकी- सी कली, छुपती रही मुझसे,
जब चली हवा, तेरी चाहत का पता दी।
किसी दस्तक पे कभी खुलती न थी जो खिड़कियाँ ,
तेरे इंतजार में हमने वहीँ पलकें बिछा दीं।
हलकी बारिश सजा जाती है बंदिशें मन में ,
तेरे अहसासों ने जब,दिलकश गजलें बना दीं ।
दिल की यही ख्वाहिश, मुलाकात हो तुझसे,
मोहब्बतों की कहानियाँ, जब किसी ने सुना दीं।
-नवनीत नीरव -