मंगलवार, 24 जनवरी 2012

मैच्योर


एक ख्याल है,
तुम्हारा आना गुजर जाना,
परेशानी का सबब है,
इस तरह हर वक्त मुझे घेरे रहना,
जैसे जड़ गयीं हों,
तुम्हारी आँखें मेरी आँखों में.
अब एक उम्र हो गयी है,
लोग “मैच्योर” कहते हैं  मुझे,
वर्ना कब का गुजर गया रहता,
तुम्हारे घर के सामने से,
अनेक बार,
फिर से तुम्हें देखने के लिए.
-नवनीत नीरव-  

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

आ रहा प्यार का मौसम.


थोड़े हम थोड़े तुम ,
थोड़ा अपना गम हमदम,
बाँट सको तो बाँट लो,
आ रहा प्यार का मौसम. 

आँखों से लुढके आंसू तो,
आम्र पत्तों में भर लेना,
अलसाये आम्रमंजरियां तो,
उनकी पलकों पर धर देना,
चलो हिलमिल बटोरते हैं,
हम अपने सारे गम,
आ रहा प्यार का मौसम. 

गुस्से में तेरे गालों की लाली,
जंगल में आग लगाती हैं,
निश्छल सूखे से खड़े पलाश पर,
यह इल्जाम सजाती हैं,
आओ गम के मुखड़े पर, 
मल दें प्यार से कुछ रंग,
आ रहा प्यार का मौसम.    

ठंढी सूनी रातों में हमेशा,
सिरहाने कौन बुदबुदाता है,
सुबह- सुबह कर धूप का आलिंगन,
खुद पीला पड़ जाता है,
सुवासित मीठे गंध से उसके,
महकाएं सारा घर आँगन,
आ रहा प्यार का मौसम. 

- नवनीत नीरव -

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

मन में बातें फिजूल फिरती हैं


मन में बातें फिजूल फिरती हैं,
इधर –उधर की, गुजरे पहर की,
रिश्ते-नातों की, गांव-शहर की,
जज्बातों का अक्सर अतिक्रमण करती हैं .
मन में बातें फिजूल फिरती हैं.......

अकेलापन जिगरी दोस्त है,
रात बचपन की सहेली है,
मंत्रोच्चार या फिर उलटी गिनती,
न सुलझाए पाए, ऐसी पहेली है,
हर वक्त चक्कर पे चक्कर,
मीलों ये हर रोज चलती हैं.
मन में बातें फिजूल फिरती हैं....

अब तो इनसे बातें भी करता हूँ,
खुद सवालों के उत्तर देता हूँ,
कभी प्यार का, कभी इजहार का,
अभिनय आईने संग करता हूँ,
खुरदुरे ख्यालात उभर आते हैं,
जब ये उन्हें छूने को मचलती हैं,
मन में बातें फिजूल फिरती हैं...... 

-नवनीत नीरव-