चाचा...
याद है आपको,
इस मई महीने के पहले हफ़्ते में,
जब मेरा दूसरा जन्मदिन मना था,
मैं बहुत खुश थी,
दिन भर ड्राइंग रूम से किचन में,
बेड रूम से आपके कमरे में भागती जो रही थी.
मम्मी-पापा मुझे और सारे घर को संवारने में लगे थे,
आपकी तबियत कुछ नासाज़ थी,
सो आप दिन भर अपने कमरे से,
बाहर नहीं निकले थे.
मैं भाग कर आपके कमरे तक जाती,
दरवाजे से झांककर आपको देखती,
फिर लौट जाती,
मुझ बिचारी को समझ ही नहीं आता कि-
हुआ क्या आपको,
कल तक मुझे पुचकारते-दुलारते थे,
आज चुपचाप अपने कमरे में पड़े हैं,
शाम को कुछ वक्त आपने हमारे साथ बिताये थे...
थोड़ी खुश हुई थी मैं यह देखकर,
जैसे और दिन बीतता है,
वह दिन भी बीत गया.
आज आपका जन्मदिन है,
सचमुच वाला जन्मदिन,
मम्मी ने बताया है मुझे,
घर में जन्मदिन मनाने के बाद,
कि रात को हम लोग बाहर घूमेंगे,
रात में इण्डिया गेट के लॉन में,
डिनर करेंगे,
रात में देर तक खूब मस्ती करेंगे,
दूधिया रौशनी में कितना चमकता है न इण्डिया गेट.
चाचा...सॉरी
आज आपके जन्मदिन पर,
आपको कुछ दे न सकी,
आपको कुछ दे न सकी,
पर मैं चाहती हूँ इस बार,
ढेर सारी खुशियाँ समेटना,
ढेर सारी खुशियाँ समेटना,
थोड़ी-थोड़ी आप सबसे बांटना,
कुछ बचाकर रखना,
ताकि उन बची हुई थोड़ी खुशियों से,
अगले जन्मदिन पर आपके लिए,
कुछ तोहफ़े सजा सकूं.