बुधवार, 8 अप्रैल 2009

ख्वाब

टुकडों में मुझसे तुम मिला करो ,
सपने जो सच होंगे बुना करो

मैं तनहा ही खुश हूँ जिंदगी से मगर ,
मझधार की लहरों में मुझे खड़ा करो

तुम्हारा सानिध्य सुकून देता है मुझे ,
ज्यादा कुछ कहूं इसकी आशा करो

मंद हवा के झोंके राहत देते हैं मुझे ,
तूफानों में मुझ दीपक को जलाया करो

मैं काफिर हूँ ख़बर तो होगी तुम्हें ,
मेरी हर ओर सरहदें बनाया करो

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नवनीत नीरव -