शुक्रवार, 1 मई 2009

कहानी

(मैं अक्सर सोचता हूँ कि कहानियाँ क्यों लिखीं जाती हैं ?किन पक्षों को कहानियों में दिखाने की कोशिश की जाती है ? जाने कितनी बातें मेरे मन में आती रहीं हैंइन्हीं सब बातों को मैंने कविता का रूप देने की कोशिश की है।)

कहानी तो कहानी है,
बातें दर्द की आंखों की जुबानी है ,
कुछ दिल की शरारत है ,
कुछ जिंदगी की नादानी है
कुछ यादों का कारवाँ है,
कुछ हकीक़त का सामना है,
कुछ मन का एहसास है ,
कभी दिल से दूर, कभी पास है,
कुछ गाँवों की बात है ,
कुछ शहरों की रात है ,
कुछ पेड़ों की छाँव है ,
कुछ सफर की नाव है ,
कुछ तपता रेगिस्तान है ,
कुछ अपना स्वाभिमान है,
कुछ बूंदों की बौछार है ,
कुछ कल्पनाओं के पार है ,
कुछ पुरवा का झोंका है,कुछ मौसम की मनमानी है
कहानी तो कहानी है

-नवनीत नीरव-